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Thursday, 5 October 2017

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अलगाववादियों पर शिंकजा कसने के बाद कश्मीर में गायब हुए पत्थरबाज !

श्रीनगर : सेना, पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआयए) के बेहतर तालमेल ने कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकवाद की कमर तोड़कर रख दी है ! इसका सबसे बड़ा फायदा कश्मीर में शांति बहाली में रोड़ा बन चुकी पत्थरबाजी पर लगाम लगाने में हुआ है। बड़े अलगाववादियों पर शिंकजे के साथ पत्थरबाजों की धरपकड और उनका वित्तीय नेटवर्क तबाह होने से अब कश्मीर में पत्थरबाजी मंद पड चुकी है ! मस्जिदों से गूंजनेवाले जिहादी तराने और भडकाऊ भाषण भी पत्थरबाजी की धार तेज करने में समर्थ नजर नहीं आ रहे हैं। घाटी में अब कहीं भी पत्थरबाज खुलेआम घूमते और जनजीवन को प्रभावित करते नहीं दिखते, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचते फिर रहे हैं !
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की २६९० घटनाएं हुई थीं, लेकिन अनधिकृत सूत्रों की मानें तो यह संख्या ५००० से ज्यादा थी ! वहीं, मौजूदा वर्ष में सितंबर के अंत तक करीब एक हजार पत्थरबाजी की घटनाएं हुई हैं !
कश्मीर में नामी पत्थरबाजों में अब अधिकांश जेल में है, जो बचे हैं, वे भूमिगत हैं ! इन पत्थरबाजों को पकड़ने के लिए पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के साथ स्थानीय लोगों की मदद भी ली। श्रीनगर के डाउन-टाउन में पत्थरबाजों का मुख्य सरगना सज्जाद गिलकारी मुठभेड़ में मारा गया, जबकि उसके छह अन्य साथी जेल में हैं। इसी तरह बारामुला में मीनाकुमारी और दक्षिण कश्मीर के नामी पत्थरबाज फलाही व बरकती भी जेल में हैं !
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है, जैसे की :
१. प्रथमत: हम सभी को हमारी सेना तथा एनआर्इए जैसी सुरक्षा एजंसियों का अभिनंदन करना चाहिए, जिनके कारण कश्मीर में जिहादी धर्मांधोद्वारा की जानेवाली पत्थरबाजी बडी मात्रा में कम हुर्इ है । परंतु हमें इतने पर ही प्रयास सीमित ना करते हुए यह देखना चाहिए की कश्मीर में एक भी जगह पत्थरबाजी ना हो ।
२. कश्मीर में हो रही पत्थरबाजी के कारण कर्इ सुरक्षा जवान घायल हुए है, तथा उनमें से कुछ देश के लिए हुतात्मा भी हुए । जिहादी पत्थरबाजों के कारण कर्इ बार आतंकवादी हमारी सेना के चंगुल से भाग जाने की घटनाए भी हुर्इ है । यह पत्थरबाजी पिछले कुछ वर्षों से शुरू है, जिसपर अब जाके लगाम लगाया गया है । यह लगाम बहुत पहले ही लगता, तो हमारे सुरक्षा जवानों को कष्ट ना होते । अब आगे की कारवार्इ शीघ्रता से पूर्ण होनी चाहिए, यही सभी राष्ट्रप्रेमी नागरिकों की अपेक्षा है ।
३. कश्मीर में होनेवाली पत्थरबाजी हो या जिहादी आतंकवाद, इन सब का मूल पाकिस्तान है । पाकिस्तानी सेना भी आए दिन कश्मीर में शस्रसंधी का उल्लंघन करती है, जिसमें सैकडो नागरिक तथा सैनिकों के प्राण चले गए है । इसलिए जिहादी आतंकवाद नष्ट करने के लिए तथा केवल कश्मीर में ही नहीं, अपितु भारत में शांति प्रस्थापित करने हेतु पाकिस्तान को जड से उखाड देना यही एकमात्र उपाय है, एैसी राष्ट्रप्रेमी भारतीयों की भावना है ।

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